लखनऊ, 25 मई, 2025: उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग में निजीकरण का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इस क्रम में आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर आरोप लगाया है कि वह दमन और उत्पीड़न का सहारा लेकर इस भीषण गर्मी में प्रदेश पर बिजली हड़ताल थोपना चाहता है जबकि संघर्ष समिति की हड़ताल की कोई नोटिस नहीं है। पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन हड़ताल का हवाला देकर निदेशकों को कार्य विस्तार देने में लगे हैं। निदेशक वित्त, निधि नारंग को हड़ताल के नाम पर तीसरी बार कार्य विस्तार दिया गया है। इसके अतिरिक्त उत्पादन निगम के निदेशक तकनीकी, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक वाणिज्य और निदेशक पारेषण को हड़ताल के नाम पर चेयरमैन ने कार्य विस्तार दिलाया है।
संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारियों की आज लखनऊ में हुई बैठक में प्रदेश की आम जनता को आश्वस्त किया गया कि निजीकरण के विरोध में चल रहे शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन से आम उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होने दी जायेगी। संघर्ष समिति ने यह भी निर्णय लिया कि 26 मई से 28 मई तक उपभोक्ताओं को साथ लेकर सभी जनपदों में निजीकरण के विरोध में व्यापक आन्दोलन चलाया जायेगा। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के विरोध में चल रहे आन्दोलन के दौरान पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबन्धन से पूरी तरह असहयोग किया जायेगा किन्तु आम उपभोक्ताओं विशेषतया अस्पताल, रेलवे, पेयजल आपूर्ति आदि आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं होने दिया जायेगा। पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन के निर्देश पर जल निगम के टैंकरों में पेय जल भरे जाने की तैयारी अनावश्यक तौर पर आम जनता में भय का वातावरण बनाने के लिए की जा रही है जिसका निहित उद्देश्य हड़ताल थोप कर निजीकरण करना है।
संघर्ष समिति ने कहा कि यह जानकारी मिली है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के टेण्डर में रूचि लेने वाले निजी घरानों के प्रतिनिधियों ने लखनऊ में डेरा डाल रखा है। यह भी चर्चा है कि उनका पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन से लगातार सम्पर्क बना हुआ है। निजी घरानों की मदद करने के लिए ही पॉवर कारपोरेशन हड़ताल थोपने में लगा है। संघर्ष समिति ने सभी जनपदों में बिजली कर्मियों को निर्देश दिया है कि वे इस बात पर कड़ी नजर रखें कि प्रबन्धन की ओर से बिजली व्यवस्था में जान-बूझ कर बड़ी गड़बड़ न की जाये और अनावश्यक तौर पर हड़ताल की स्थिति न आये। संघर्ष समिति ने इस हेतु सभी जनपदों में नजर रखने के लिए अलग टीम बना दी है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, शशिकान्त श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम निवास त्यागी, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विगत 06 माह से शान्तिपूर्ण आन्दोलन चल रहा है। उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति ने बेमियादी हड़ताल की कोई नोटिस नहीं दी है किन्तु अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन शासन के उच्चाधिकारियों को और जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर लिख रहे हैं कि ऊर्जा निगमों में हड़ताल होने वाले है और इससे निपटने के ब्लू प्रिन्ट जारी किये जा रहे हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसा लगता है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन की निजी घरानों के साथ मिली-भगत है और वे निजीकरण करने हेतु इतने आतुर हैं कि भीषण गर्मी में बिजली कर्मियों का दमन और उत्पीड़न के जरिये हड़ताल को थोपना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रबन्धन ने हजारों बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं को अनुशासनात्मक कार्यवाही की नोटिस दे दी है। नोटिस में एक ही भाषा का प्रयोग किया गया है। जो कर्मचारी पिछले 06 माह से एक बार भी शक्तिभवन नहीं आये उनपर शक्तिभवन में सभा करके अशान्ति फैलाने का अरोप नोटिस में लगाया जा रहा है। यह सब हड़ताल थोपने की तैयारी है।
आज अवकाश के दिन सभी जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने सभा कर निजीकरण के विरोध में चल रहे आन्दोलन को तेज धार देने की रणनीति तय की और उपभोक्ताओं को साथ लेकर आन्दोलन चलाने के लिए उपभोक्ताओं से व्यापक जनसम्पर्क किया।