
लखनऊ,17 जून,2025,बिजली के टैरिफ में बेतहाशा वृद्धि से गर्माये महौल में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने 22 जून की बिजली महापंचायत की तैयारी तेज कर दी है। संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर आरोप लगाया है कि प्रशासनिक आधार पर हजारों बिजली कर्मियों का स्थानान्तरण कर प्रबन्धन ने भीषण गर्मी में बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने का काम किया है। संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 202वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आर बी सिंह, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, के.एस. रावत, राम निवास त्यागी, प्रेम नाथ राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, मो इलियास, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, विशम्भर सिंह ने आज यहां जारी बयान में कहा है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने बिजली दरों में बेतहाशा वृद्धि का प्रस्ताव देकर संघर्ष समिति के इस आरोप की पुष्टि कर दी है कि निजीकरण के बाद बिजली दरों में दोगुनी-तीनगुनी वृद्धि होगी।
संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे के भ्रामक आकड़े देकर पॉवर कारपोरेशेन ने निजीकरण के बाद आने वाले निजी घरानों की मदद के लिए बिजली दरों में बेतहाशा वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि 44 हजार करोड़ रूपये आरडीएसएस योजना में खर्च करने के बाद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ कर कौड़ियों के मोल निजी घरानों को बेचने की साजिश है। निजी घरानों को मुनाफा दिलाने के लिए ही बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है।
संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा दिये गये बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव से किसान, गरीब उपभोक्ता और आम उपभोक्ता सकते में आ गये हैं और अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। संघर्ष समिति ने किसानों और आम उपभोक्ताओं से इस बाबत व्यापक जनसम्पर्क अभियान तेज कर दिया है जिससे आगामी 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत किसान, मजदूर और आम उपभोक्ता बड़ी संख्या में आये। संघर्ष समिति ने बताया कि 22 जून को होने वाली बिजली महापंचायत अपने आप में देश में एक अनूठा कार्यक्रम है जिसमें बिजली के सबसे बड़े हितधारक किसान, मजदूर और आम उपभोक्ता एक साथ आकर व्यापक जन आन्दोलन का फैसला लेंगे।

पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा कई हजार बिजली कर्मियों का प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने में स्थानान्तरण किये जाने से बिजली कर्मियों में व्यापक असंतोष व्याप्त हो गया है। संघर्ष समिति ने बताया कि लगभग 1500 से अधिक अभियन्ता ट्रांसफर किये गये हैं। लगभग इतने ही जूनियर इंजीनियर ट्रांसफर किये गये हैं। तृतीय श्रेणी के छोटे कर्मचारियों का हजारों की संख्या में दूर दराज के स्थानों पर ट्रांसफर कर दिया गया है। पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने आज वीडिया कॉफ्रेंसिंग के जरिये फरमान सुनाया है कि सभी स्थानान्तरित कर्मचारियों एवं अधिकारियों को आज ही बिना प्रतिस्थानी के कार्यमुक्त कर दिया जाये। संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन के द्वारा इतने बड़े पैमान पर स्थानान्तरण करने और तत्काल कार्यमुक्त करने से इस भीषण गमी में बिजली व्यवस्था पटरी से उतर जाने की पूरी सम्भावना है। उन्होंने कहा कि जहां बिजली कर्मी विगत 7 महीनों से आन्दोलन करते हुए भी बिजली व्यवस्था को सामान्य बनाये हुए थे वहीं पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन के इस कदम से बिजली व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
निजीकरण के विरोध में लगातार 202 वें दिन प्रदेश भर में बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा। आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किया गया।